हाल की दो महत्वपूर्ण घटनाओ को आपने जरूर देखा होगा :
(1)
उपराष्ट्रपति हमीद अंसारी ने
अपने धर्म के महत्व को समझते हुए दशहरा उत्सव के दौरान आरती उतारने से मना कर
दिया क्योकि इस्लाम मे ये करना "मना" है।
(2) टी॰वी॰ सीरियल बिग बॉस की एक
प्रतियोगी गौहर खान ने दुर्गा पुजा करने से मना कर दिया और
वो दूर खड़ी रहकर देखती रही,
जबकि ये एक कार्य था, जिसे करना सभी प्रतियोगी के लिए जरूरी था लेकिन गौहर खान
ने इस कार्य को करने से साफ मना कर दिया क्योकि इस्लाम मे ये करना "मना" है।
इन दोनों (
हमीद अंसारी व गौहर खान ) को मेरा साधुवाद, क्योकि दोनों ने किसी कीमत पर भी अपने
धर्म से समझौता नहीं किया, चाहे इसके लिए कितनी बड़ी कीमत भी क्यो न चुकानी पड़े।
ये घटना उन तथाकथित "सेकुलर"
सिखों के मुह पर जोरदार तमाचा है जो कहते फिरते है की कभी "टोपी" भी पहननी पड़ती
है तो कभी "तिलक" भी लगाना पड़ता है।
सुन रहे हो ना ..
हमारे खिलाडियो
हमारे लीडरो
हमारे सेलिब्रिटीज
इस घटना मे मीडिया का मौन रहना सबसे ज्यादा अचरज का विषय है क्योकि सबसे ज्यादा
हाय तौबा यही मीडिया वाले मचाते हैं। उदाहरण लेना है तो मुस्लिम समुदाय के लोगो
से सीखो जो अपने धर्म के लिए बड़ी से बड़ी कीमत चुकाने को तैयार रहते है, पर अपने
सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं कर सकते। वही हमारे सिख लोग "कायरता" का दूसरा
रूप "सेकुलर" होने का झूठा दिखावा करने से बाज नहीं आते।
अमल करो मत करो आप लोगो की
मर्जी...
किसी किसी सिख के मूंह से ही
सुनने को मिलता है की मैं गुरु का सिख हूँ या खालसा हूँ। बाकियों में से
किसी ने कहा जट
किसी ने कहा खत्री
किसी ने कहा अरोड़ा
सब अलग अलग
किसी ने राम्गडिया
तो किसी ने भापे....
मैंने लेकीन 10 मुसलमानो को पूछो की कौन सी जाती के हो?
सभी का एक जवाब आया
"मुसलमान"
मूझे अजीब लगा
मैने फिर से पूछा
फिर वही जवाब आया
"मुसलमान"
तब मुझे बड़ा अफसोस हुआ
और लगा हम कीतने अलग
और वो कितने एक ... ...
कुछ समझ मै आया हो तो
आगे से कोई पूछे तो एक ही
जवाब आना चाहीये
॥ गुरु के सिंघ/सिंघ्निया।।
और गर्व करते हो "सिख" होने का, तो इस मैसेज को इतना फैला दो यह मैसेज मूझे
वापस किसी सिख से ही मिले ....!